बाहम शनाश लोगों में तेरी बात जब भी आ गई
तेरा जिक्र भी न कर सका, मै और मेरी लाचारियाँ ।
जो भी मिला उसने कहा उसका यकीन मत करो
फ़िर मुझे भली लगीं तेरी आँखों की अय्यारियाँ
तेरे पहले भी तो कम न थी जिंदगी की तल्खियाँ
तेरे बाद और भी बढ़ गयीं जीस्त की दुशवारियाँ
मुझे ठण्ड से परहेज है और सर्दियों से दुश्मनी
दिल के मगर करीब है यादों की बर्फ-बारियाँ
उम्र से पहले ही क्यूँ, ये तुमपे कैसे आ गयीं
आंखों के नीचे तीरगी और माथे पे ये धारियां
बाहम शनाश-दोनों को जानने वाले
तीरगी-darkness
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