Saturday, March 27, 2010

एक SAAUMYA सी गुजारिश


सुनो तुम फ़िक्र मत करना

तुम्हे जाना है ,तुम जाओ

मेरी खातिर न रुक जाओ

कि जैसे तुम बदलते हो

बिना देखे गुजरते हो

बदल जायेंगे ये दिन भी

गुजर जायेंगे ये दिन भी


हाँ कोई बात गर रोके

मेरे हालात गर रोकें

पुरानी याद गर रोके

तो तुम दिल को मना लेना

उसे इतना बता देना,

बदलना भी जरुरी है

कि चलना भी जरुरी है

जरुरत ही तो सबकुछ है


सुनो तुम फ़िक्र मत करना

मगर ये जिक्र मत करना

नहीं तो लोग हंस लेगे

मुझ पर ताने कस लेंगे .

मुझे अपनी नहीं चिंता

कि गोया फ़िक्र बस ये है

वो तुमको भी सतायेंगे

तुम्हे दोषी बताएँगे .


सुनो तुम फ़िक्र मत करना

तुम्हे जाना है, तुम जाओ ।

मगर एक बात सुन जाओ

मैं ये फिर कह न पाउँगा

"मैं तुम बिन रह ना पाउंगा "

"मैं तुम बिन रह ना पाउंगा"


(छोटे भाई सोनू के लिए )


Thursday, March 11, 2010

THE GRAVE

अपने सारे अरमानोँ की पोटली बनायी थी
और थोडी सी नम जमीन देख के
दफन कर आया था उन्हेँ.
एक पत्थर रख आया था उपर
एक वचन भी लिया था खुद ही से
कभी न लौट के आने का
इस मजार पे दुबारा।

और जैसे भूल जाता हूँ पौलिसी भरना
बिसर गयी थी यह भी बात.

समय चक्र पूरा हो गया है
और नियती का खेल भी है ...

वहीँ खडा हूँ तुम्हारे साथ
बहुत कुछ बदल गया है ना!
देखो पत्थर को चीरकर
कुछ मोगरे खिल गये है वहाँ
जहाँ दबी पडेँ हैँ कुछ खत,
ट्रेन के टिकट और मैँ ........

चलो कहीँ और चलते हैँ....
जानता हूँ तुम्हे मोगरे पसन्द नहीँ हैँ
मेरे अरमानोँ की तरह .