जिन्दगी, ख्वाहिशें, मुस्कराहट और तुम्हें
बहुत कुछ खो दिया है तलाश ऐ रोज़गार में।
बेखुदी और बेबसी और बेनियाज़ी के इतर
ये दाग ऐ सुर्ख कैसा है निगाहे ऐ यार मे ।
बैठें हैं गुल्शितां मे तेरी राह देखते
तुमने कहा था आओगे अगले बहार मे ।
तेरी नज़र की रौशनी है मेरा उजाला
जब ही तो मेरे पाँव बचे दस्त ऐ खार मे ।
कोई तो है जो करता है सिजदा तेरे लिए
तू भी तो ऐतबार ला परवरदिगार मे ।
बेनियाज़ी- neglect
दाग ऐ सुर्ख- a red spot
दस्त ऐ खार- काँटों का जंगल, a jungle full of thorns.
गुलिश्तां- lawn
narayan narayan
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