Tuesday, August 24, 2010

तेरा भईया,तेरा चंदा,तेरा अनमोल रतन




मै पला छाया मे तेरे
बांह मे खेला तुम्हारी
पाठशाला थी प्रथम तुम

तुमसे ही सीखी पढ़ाई



जब भी खायी दूध रोटी

मैंने हाथो से तुम्हारे

रूप कोई भी धरो तुम

याद तुममे माँ ही आई


स्वप्न से होकर भयातुर
जब तुम्हारे पास आय़ा
"तुम बहुत ही साहसी हो"
बात ये तुमने बतायी

मुझको नहलाने की
खातिर और बहलाने की खातिर
ये कहा तुमने हमेशा
"बांह से देखो तुम्हारे
कैसे निकलेगी सियाही"


भूल से यदि भूलवश ही
कह दिया हो कुछ भी अनुचित
माफ़ कर देना मुझे तुम
मै तुम्हारा ध्रीस्ट भाई