Monday, March 21, 2011

RAINBOW........ THE COLORS OF LIFE.


तुमने पूछा है, मुझे रंग से परहेज है क्यों
तुमपे फबते है रंग, फिर भी ये गुरेज है क्यों

मै बताऊ भी तो क्या तुम ये समझ पाओगे
तुमपे गुजरा ही नहीं कैसे समझ पाओगे

तुमने देखा ही नहीं ख्वाब का पीला पड़ना
तुमको मालूम है क्या सब्र का ढीला पड़ना

तुमने जाना ही नहीं जख्म का हरा होना
कैसे समझोगे फिर दिल का मकबरा होना

तुमने देखा ही नहीं दर्द के नीलेपन को
तुमने देखा ही नहीं घर के कबीलेपन को

तुमपे गुज़री ही नहीं हिज्र की काली रातें
तुमने देखी है कोई आस से खाली रातें

डोरे आँखों के ये लाल से क्यूँ रहते है
ख्वाब आँखों मे पड़े बाल से क्यूँ रहते हैं

उसकी यादों की तरह आके छले जाते है
इसी वजह से ऐ दोस्त, मुझे रंग नहीं भाते है