
तेरी बातें,तेरी यादें, तेरे ख़त,तेरी तलाश
मेरे घर के साथ ही सुपुर्द ऐ आतिश हो गईं ।
दिल बिका मेरा फकत कुछ कौडियों के मोल से
फक्र करते थे बहुत, लो आजमाईश हो गयी ।
तब कहा करते थे उसकी आंखों मे है सादगी
अब कहा करते हो मेरे साथ साजिश हो गई ।
उनका था ये कौल तेरे सामने न आयेंगे
आज ये कैसे मगर उनकी नवाजिश हो गई ।
रो दिया था आस्मां भी सुन के मेरी दास्ताँ
जैसे ही मैं चुप हुआ वैसे ही बारिश हो गई ।