Monday, October 19, 2009

THE APPARENT CHANGES



मैं अक्सर सोचता हूँ खिल्वतों मे


नाम किसका था तेरी मन्नतों में।


मेरा ही जिक्र है अब कू ब कू में


मुद्दा ऐ बहस हूँ अब दोस्तों में ।


रात कल भी कोई साया सा गुजरा


रात कल भी गुजारी करवटों में ।


तुम भी क्यूँ ढूँढ़ते हो एक ही शब्


रात आती है ऐसी मुद्दतों में।


"सत्य" अब हो गया है बेहिस सा

हकपरश्ती थी जिसकी आदतों में .

(खिलवत-अकेलापन ,तन्हाई )

(कू ब कू -हर गली में )

( बेहिस-भावनारहित)

हकपरश्ती- to fight for other's right

3 comments:

  1. "मेरा ही जिक्र है अब कू ब कू में । " आमीन ।

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  2. रात कल भी कोई साया सा गुजरा
    रात कल भी गुजारी करवटों में .....

    वाह....वाह.....!!

    बहुत खूब लिखते हैं आप .....!!

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  3. Satya .bahut khoob likha hai.urdu ka bahut achcha prayog kiya hai........

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