
तेरी जात में भी खलिश रही
यह सोचना मेरी भूल थी
तू मेरा कभी भी रहा नही
मेरी कोशिशें ही फिजूल थी
वो जो आसमान में रहता है
वहीँ बैठा हँसता जो रहता है
मेरी एक अर्जी को छोड़ कर
उसे सबकी अर्ज़ कुबूल थी ।
तेरे खयाल जो आ गए
मैं खुशबुओं में नहा गया
तेरी बात भी क्या बात थी
बस मोगरे का फूल थी ।
तुने मुझको ऐसे फ़ना किया
ज्यूँ मैं रास्ते का गुबार था
मैंने वो भी सर से लगा लिया
तेरे पाँव की जो धूल थी ।
मुझे काफिये की ख़बर नही
ये बहर है क्या नही जानता
मैं वो ही लिखता चला गया
जो जिस्त के माकूल थी ।
यह सोचना मेरी भूल थी
तू मेरा कभी भी रहा नही
मेरी कोशिशें ही फिजूल थी
वो जो आसमान में रहता है
वहीँ बैठा हँसता जो रहता है
मेरी एक अर्जी को छोड़ कर
उसे सबकी अर्ज़ कुबूल थी ।
तेरे खयाल जो आ गए
मैं खुशबुओं में नहा गया
तेरी बात भी क्या बात थी
बस मोगरे का फूल थी ।
तुने मुझको ऐसे फ़ना किया
ज्यूँ मैं रास्ते का गुबार था
मैंने वो भी सर से लगा लिया
तेरे पाँव की जो धूल थी ।
मुझे काफिये की ख़बर नही
ये बहर है क्या नही जानता
मैं वो ही लिखता चला गया
जो जिस्त के माकूल थी ।