हरेक भागता लम्हा सम्भाल रखा है
बाद तेरे, तुझे लफ्जोँ मे ढाल रखा है
हम सपेरे भी नही, ना कोई फन आता है
ना जाने क्युँ तुझे आस्तीँ मे पाल रखा है
तेरी बातेँ भी रहेँ और तू बा पर्दा रहे
हमने इसका भी हमेशा खयाल रखा है
गफलतेँ तो मिट गयी तुम्हे मिल के
गुजस्ता वक्त का थोडा मलाल रखा है
बिना हमारे, तुम हमारे बाद कैसे हो ?
बडा ही ला जवाब सा सवाल रखा है
हम सपेरे भी नही, ना कोई फन आता है
ReplyDeleteना जाने क्युँ तुझे आस्तीँ मे पाल रखा है
वाह बहुत सुन्दर.
बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteबिना हमारे, तुम हमारे बाद कैसे हो ?
बडा ही ला जवाब सा सवाल रखा है
बधाई ................
बिना हमारे, तुम हमारे बाद कैसे हो ?
ReplyDeleteबडा ही ला जवाब सा सवाल रखा है
सच में बड़ा ही ग़ज़ब का सवाल है ....... कमाल के शेर हैं इस ग़ज़ल में .....
Yeh ghazal toh chhoo gayi. Bahut hi achhi hai
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