पूर्णिमा का चाँद जैसे
अनकही फ़रियाद जैसे
रोशनी फैली हुयी सी
बादलों के बाद जैसे
आसमानी पर लगे हों
"फाख्ता" आज़ाद जैसे
बोल हैं ऐसे तुम्हारे
प्यार का रुदाद जैसे
इस धरा पर कैसे आयीं
तुम तो हो परीजाद जैसे
तुमको पाके यूँ लगा कि
पूरी हो मुर आद जैसे
फाख्ता- चिड़िया,bird
रुदाद- कहानी ,statement,tale
इमदाद-प्रशंसा
Monday, February 8, 2010
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1 comments:
तुमको पाके यूँ लगा कि
पूरी हो मुर आद जैसे ..
बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है ...... छोटी बहर में लिखी लाजवाब बातें .... प्यरा भरी बातें ........
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