Monday, February 7, 2011

उम्मीदें, उम्मीद से हैं




उधडे यादों को फिर एक बार रफू करना है


जो रह गया था वही, फिर से शुरु करना है।



ख्वाब बुनने की आदत है सो जाती ही नहीं


सोचते रहते हैं यूं करना हैं, यूं करना है



बूढे बरगद से तेरा नाम मिटा आये है


बेवजह ही तुझे बदनाम भी क्यूं करना है।



ज़ेहन को फिक्र 'तू मेरी बुरी आदत है '


मैने ठाना कि इस आदत ओ जूनूं करना है



दिल को लगता है तू आएगा पशेमां एक दिन


दिल का क्या है इसे हर हाल सुकूं करना है ।



ज़ेहन- दिमाग


पशेमां- पछतावा

(चित्र गूगल से साभार)




5 comments:

  1. अभिशप्त स्वप्नों में एक दिल धड़कता है...
    अपनी आदतों को जुनूं,जिगर को सुकूं करता है...

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  2. aaj phir puraani khwahisho ke liye dil machal raha hai......

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  3. दिल का क्या है इसे हर हाल सुकूं करना है । baat bas yahi ek sacchi hai :))...rachna acchi hai

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