Monday, November 9, 2009

लविन्ची कोड .


(1) ट्रेन आने मे अभी दो घंटे है । मैं सो जाऊँ?

कहाँ?

तुम्हारे काँधे पर ......और कहाँ बेवकूफ।


(2) बताओ तो । तुम्हारी पीठ पर उँगलियों से मैं क्या लिखा?

पता नही ?

तुम अनपढ़ तो नही हो !


(3) मेरीआँखों मे देखो ।

अरे ?

क्या दिखा?

लाल हो गए हैं ।

जाहिल।

(४) ट्रेन आ जायेगी पटरी से हटो .

एक मिनट ।

काली पटरी पर कोयले से इबारत ! तुम इतने समझदार बचपन से हो ?

हम्म।

वैसे लिख क्या रहे हो?

लविन्ची कोड .


9 साल बाद...................

तुम्हे एक बात बतानी थी।

बोलो।

कहीं पढ़ा था.......... लिख के मांगी हुयी मन्नतें सच नही हुआ करतीं

( Thank you AMOL, for permitting me to use your photo graph.)
चित्र - अमोल के ऑरकुट प्रोफाइल से साभार । पीछे दीखता चेहरा भी उन्ही का है .




6 comments:

  1. accha likh lete ho
    sushma

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  2. सुन्दर अभिव्यक्तियाँ

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  3. बीमार मन की लिखी हुई कविता लग रही है... यह गद्द के रूप में पद्द ? जो भी है गहरे उतरे... और अब ९ साल बाद का तात्पर्य समझा...

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  4. BAHOOT KHOOB .. AAPKA LIKHNE KA ANDAAZ LAJAWAAB HAI ......

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  5. kya jakaas likhte ho ........
    meri di hui siksha ka accha pradarshan hai ye

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