
अहबाब पूछते हैं बता कौन था वो शख्स
जिसकी वजह से तू हुआ मशहूर इन दिनों
मुमकिन नही हर बात पहुँचती हो वहां तक
वो शख्श रह रहा है बहुत दूर इन दिनों
मैंने फरेब देखें है उसके कई दफा
पर ये चलन चला है बदस्तूर इन दिनों
उसकी भी परेशानियाँ कुछ कम तो नही है
मैं भी हूँ पशेमान ओ मजबूर इन दिनों
दरमान अगर है तो दवा क्यूँ नही देता
तेरा हिज्र बन गया है नासूर इन दिनों
अहबाब-दोस्त
दरमान- दवा देने वाला, मसीहा
यह श्रेय अहबाब को ही क्यो न दिया जाये ?
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