
अपनी चाहत की कुछ मियाद अभी बाकी है
तुम मेरे आने का इमकान बनाए रखना ।
मैं भरम में ही बहुत खुश हूँ, बहुत अच्छा हूँ
और तुम भी मुझे नादान बनाये रखना ।
पहले तन्हाई की आदत थी,अब लत है
मेरे घर को यूँ ही वीरान बनाये रखना ।
तू है जैसा भी,तेरी आँखें बहुत पाक रहीं
अपनी आंखों का कुरआन बनाये रखना ।
इमकान -उम्मीद
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