
मैं पहले बोलता था
अब पहरों सोचता हूँ ।
बहुत पढता था पहले
कि अब लिखने लगा हूँ ।
मैं हँसता भी बहुत था
पर अब चुप सी लगी है ।
मै पहले उड़ रहा था
पर अब पर ही नही है ।
जरा सी आग रहती थी
अब बस राख ही है ।
तब थोड़ा हौसला था
पर अब कुछ भी नही है ।
मुझे ये गम नही कि तुमने मुझे छोड़ दिया है ऐ दोस्त
गिला यह है तुमने कहीं का नही छोडा
अब पहरों सोचता हूँ ।
बहुत पढता था पहले
कि अब लिखने लगा हूँ ।
मैं हँसता भी बहुत था
पर अब चुप सी लगी है ।
मै पहले उड़ रहा था
पर अब पर ही नही है ।
जरा सी आग रहती थी
अब बस राख ही है ।
तब थोड़ा हौसला था
पर अब कुछ भी नही है ।
मुझे ये गम नही कि तुमने मुझे छोड़ दिया है ऐ दोस्त
गिला यह है तुमने कहीं का नही छोडा
इतने बदलाव से तो यही निष्कर्ष निकलता है... सच में कहीं का नहीं छोडा !
ReplyDeleteaacha likha hai
ReplyDeletesushma
bahut khub bhaiya,
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