
तेरी आंखों मे रतजगे होंगे
बस येही सोच नींद आई है।
दिन तो बेचा है पेट की खातिर
रात तेरे लिए बचायी है ।
वही शोखी अभी तलक बाकी
आँख लेकिन वो अब परायी है ।
किसको दिखाएँ आब ला पा
सारी दुनिया ही तमाशाई है ।
हुस्न ओ इश्क ओ प्यार क्या
चार दिन की शनाशाई है ।
लो यहाँ से जुदा हुयी राहें
राह तूने भी क्या दिखाई है
आब ला पा-पैर के छाले
शनाशाई - परिचय
achchhi rachna hai. badhai.
ReplyDeletenarayan narayan
ReplyDeleteमुझे आपके इस सुन्दर से ब्लाग को देखने का अवसर मिला, नाम के अनुरूप बहुत ही खूबसूरती के साथ आपने इन्हें प्रस्तुत किया आभार् !!
ReplyDeleteखूबसूरत भावाभिव्यक्ति।
बहुत ही सुक्ष्म अनुभुतियों को आपने सुंदर तरीके से इस रचना में पिरो दिया है. बहुत शुभकामनाएं.
शुभकामनाएं....
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