
(1) ट्रेन आने मे अभी दो घंटे है । मैं सो जाऊँ?
कहाँ?
तुम्हारे काँधे पर ......और कहाँ बेवकूफ।
(2) बताओ तो । तुम्हारी पीठ पर उँगलियों से मैं क्या लिखा?
पता नही ?
तुम अनपढ़ तो नही हो !
(3) मेरीआँखों मे देखो ।
अरे ?
क्या दिखा?
लाल हो गए हैं ।
जाहिल।
(४) ट्रेन आ जायेगी पटरी से हटो .
एक मिनट ।
काली पटरी पर कोयले से इबारत ! तुम इतने समझदार बचपन से हो ?
हम्म।
वैसे लिख क्या रहे हो?
लविन्ची कोड .
9 साल बाद...................
तुम्हे एक बात बतानी थी।
बोलो।
कहीं पढ़ा था.......... लिख के मांगी हुयी मन्नतें सच नही हुआ करतीं
( Thank you AMOL, for permitting me to use your photo graph.)
चित्र - अमोल के ऑरकुट प्रोफाइल से साभार । पीछे दीखता चेहरा भी उन्ही का है .
accha likh lete ho
ReplyDeletesushma
badhiya laga.....yeh....
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्तियाँ
ReplyDeleteबीमार मन की लिखी हुई कविता लग रही है... यह गद्द के रूप में पद्द ? जो भी है गहरे उतरे... और अब ९ साल बाद का तात्पर्य समझा...
ReplyDeleteBAHOOT KHOOB .. AAPKA LIKHNE KA ANDAAZ LAJAWAAB HAI ......
ReplyDeletekya jakaas likhte ho ........
ReplyDeletemeri di hui siksha ka accha pradarshan hai ye