
तुम्हारी नजर की रहबरी पे चलते रहे
तभी तो मुश्किलों मे रास्ते निकलते रहे ।
चाँद की वो परी है तुम्हारी दुल्हन
माँ के किस्सों को हम सच समझते रहे ।
तू हमारी पतंग काटता ही रहा
और हम थे कि, मांझे बदलते रहे ।
तुमसे बिछडे तो थोड़े सयाने हुए
ठोकरें जब लगी ख़ुद संभलते रहे ।
"सत्य " आँहों का तेरे असर तो हुआ
बाम पर रात भर वो टहलते रहे .
रहबरी- guidance
बाम- छत
बहुत अच्छा लिखा है सर जी
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