
मैं अक्सर सोचता हूँ खिल्वतों मे
नाम किसका था तेरी मन्नतों में।
मेरा ही जिक्र है अब कू ब कू में
मुद्दा ऐ बहस हूँ अब दोस्तों में ।
रात कल भी कोई साया सा गुजरा
रात कल भी गुजारी करवटों में ।
तुम भी क्यूँ ढूँढ़ते हो एक ही शब्
रात आती है ऐसी मुद्दतों में।
"सत्य" अब हो गया है बेहिस सा
हकपरश्ती थी जिसकी आदतों में .
(खिलवत-अकेलापन ,तन्हाई )
(कू ब कू -हर गली में )
( बेहिस-भावनारहित)
हकपरश्ती- to fight for other's right