
अभी तो चमका था तुम्हारी अंगुश्तरी का नीलम
अभी तो लेटी थी तुम मेरे शानों पर
मै तो लिख ही रहा हूं तुम्हारा नाम शीशम पर
अभी तो भूले थे तुम अपने कान के बुदें
अभी तो ताज को जेरे बहस बताया था
अभी तो पराठे कि जिद की थी मैंने
और दिखाई थी तुमने आँखें
अभी तो रो रही थी तुम गिलहरी के मरने पर
और हंस रहा था मै ELLE-18 की ज़िद पर
अभी तो अपनी सहेली से बचा लाई थी मुझे
क्युंकि उसे आता था काला जादू
अभी तो मेरे घुटनो पे सर रख कहा था
"जब तक नही आओगे मै रोउंगी नही"
अब जो आया हूं तो
तारीख मुझपे हंसती है
ग्यारह सालों के ताने कसती है
क्या सच मे ग्यारह साल बीत गये! सच बताना।
हां एक सच और बताना
कोई कह रहा था
" वो रुखसती पर भी नही रोई थी"।
अंगुशतरी- अंगुठी
शानों- shoulder
जेरे बहस- बह्स का मुद्दा
रुखसती- विदाई