यहीं पे मुक्कद्दर की बात आ गयी है. यहीं पे नसीबों से काम आ पड़ा है. मुझे खोदना है पर्वत से दरिया, तेरे सामने भी तो कच्चा घडा है.
Tuesday, December 27, 2011
अधूरा सा कुछ
मफलर का एक शिरा फंस गया हो जैसे
ठीक वैसे
यादें उघडतीं जाती है
यादें तब कि
जब भूला जाया करता था Y2K समस्या
और याद रहते थे मीर ओ बशीर
यादें तबकि
जब तुम्हारी जुल्फें लम्बी थीं
और परेशानियां छोटी
यादें तबकि
जब कीन्स और pareto बोझिल थे
और इन्हें बांचने वाले बेदिल
यादें तबकि
जब दोस्तों ने पहली दफा दिखाए थे सिगरेट के छल्ले
और तुमने पहली दफा दिखाई थी आँखें
यादें तबकि
जब प्याज पर गिरती थी सरकार
और प्यार पर उठते थे तलवार
यादें तबकि
जब जमीन पैरों का गुलाम था
और आसमान सपनों का पड़ोसी
यादें तबकि
जब तुमने बदली थी निगाहें
और हमने बदला था शहर
याद की तासीर अब भी कायम है
तेरे मफलर सा ही मुलायम है
फर्क इतना है कि किरदार बदल लिए हमने
अब तुम मेरी कहानियों मे परी हो
और मै तुम्हारे अफसानों मे राजकुमार
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